वह बरगद पेड़
गांव के बीच का
वह बरगद का पेड़
उदास है आज।
कभी -----
गांव के अच्छे -बुरे
बक्तों का इतिहास
बुनता रहा है वह पेड़।
जुम्मन और अलगु की
दोस्ती का गबाह
गिरिजा और गुरुद्वारों में
समन्यब्यता का सूत्रधार
आज बिस्मित है
वह पेड़ ----------
शाम की गोधूलि बेला में
नहीं जमता है वहां
कोई चौपाल
ईद और दिवाली पर
नहीं बांटती है
वहां मिठाइयां
ग्रीष्म की चांदनी रातों में
नहीं बिछती है वहां
अब-------------
अगल -बगल में
जुम्मन और अलग की चारपाइयां
आखिर कियों। …?
वह बरगद का पेड़
नहीं समझ प् रहा है
कइयों बढ़ गयी है
यह दूरियां
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