Monday, 18 August 2014

वह बरगद  पेड़  

गांव के बीच का 
वह बरगद का पेड़ 
उदास है आज। 
कभी -----
गांव के अच्छे -बुरे 
बक्तों का इतिहास 
बुनता रहा है वह पेड़। 
जुम्मन और अलगु की 
दोस्ती का गबाह 
गिरिजा और गुरुद्वारों में 
समन्यब्यता  का सूत्रधार 
आज बिस्मित है 
वह पेड़ ----------
शाम की गोधूलि बेला  में 
नहीं जमता है वहां 
कोई चौपाल 
ईद और दिवाली पर 
नहीं बांटती है 
वहां मिठाइयां 
ग्रीष्म की चांदनी रातों में 
नहीं बिछती है वहां 
अब-------------
अगल -बगल  में 
जुम्मन और अलग की चारपाइयां 
आखिर कियों। …?
वह बरगद का पेड़ 
नहीं समझ प् रहा है 
कइयों बढ़ गयी है 
यह दूरियां 
 


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