संपादक की कलम से
-------------------------------यह जहर देश को कहां ले जाएगा ?
--- बिनोद आनंद
एक खबर आई पश्चिम बंगाल से ।नादिया जिला में एक 24 वर्षीय शख्स कृश्णा देवनाथ ने जय श्री राम का नारा लगाया तो भीड़ ने उसे पीट पीट कर मार डाला ।उसकी हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस के समर्थको का हाथ बताया गया ।दूसरी घटना झारखंड की है जो कुछ दिन पहले झारखंड में हुई थी । मो तबरेज को भीड़ ने जय श्री राम नही बोलने पर 18 घंटो तक पोल में बांध कर पिटता रहा और अंततः जेल जाने के बाद उसकी मौत हो गयी ।
यह दोनों घटना तो बहुत छोटी सी लगती है,हम सोचते हैं कि चलो भीड़ ने ऐसा कर दिया । दोषी को सजा मिल
जाएगी ,कानून अपनी प्रक्रिया के तहत काम करके इन समस्याओं का समाधान कर लेगा।
लेकिन ,सबाल उठता है कि किया इसका हल यहां से हो जाएगा ?
आज इन जहर का बीजारोपण कहाँ से हो रहा है, इस तरह की भवनाएं कहाँ से आ रही है ,कौन लोग हैं जो इस तरह की सोच आज के युवाओं में पैदा कर रहे है ।और कियों ? यह कई सबाल है जिसका जबाव जब तक नही तलाशा जाता है तब तक इस बीमारीं का इलाज नही हो सकता । आज आप फेसबुक या अन्य सोशल साइट पर जाइये इस तरह के वीडियो आप को बहुत ज्यादा मिलेंगे जो नफरत के जहर को फैला रहे हैं । और सारे लोग अपने को किसी न किसी सियाशी पार्टी विशेष के समर्थक बताएंगे ।जाहिर है यह सोच यह विचारधारा आज राजनीति का एक हिस्सा बनता जा रहा है ।और जब तक यह होता रहेगा तब तक हम इसे नही रोक पाएंगे।
यह बहुत ही दुखद है कि जय श्री राम का नारा लगाने पर तमतमा कर एक सूबे की मुख्यमंत्री अपनी कार को रोक कर सड़क उतर जाती है सारे प्रोटोकॉल धरे के धरे रह जाते अधिकारियों से कहते हैं इसे अरेस्ट करो और जेल में डाल दो और जब वह फिर गाड़ी में बैठती है तो भीड़ फिर चिल्ला उठता है जय श्रीराम ।कितना मखौल उड़ता है एक पद की गरिमा का,यह कदम उनके समर्थकों में कितना जहर घोलता है जय श्री राम कहने बालों के विरुद्ध और ऐसे लोग एक ऐसे शब्द के लिए लोंगो की हत्या करने के लिए उतारू हो जाते है जसका कोई मतलब नही है ।
दुर्भाग्य तो यह है कि मॉब लीचिंग के शिकार हुए उन लोंगो के लिए हम इंसाफ की उम्मीद कैसे कर सकते हैं जब इस मामले के आरोपी जेल से छूट कर आये तो उसे फूल माला पहना कर एक दल विशेष के राजनेता और केंद्र में मंत्री स्वागत करे ।
तबरेज के मामले में भी कई राजनेता यह बचाव करने के लिए बयान बाजी करना शुरू कर दिया कि वह चोर था ।भाई चोर को मारने की इजाज़त कानून देती है किया अगर ऐसा है तो फिर कोर्ट ,जज और कानून किस चीज के लिए है ।
फिर एक चोर को जय श्रीराम का नारा लगबाने की किया जरूरत है ।उसके पीछे की मानसिकता किया है उसे समझने की जरूरत है ।
संसद से लेकर सड़क तक सत्ता से लेकर शियासत तक,सोच से लेकर बैचारिकता तक सभी में बदलाव की जरूरत है तभी अमन चैन कायम हो सकता है ।अगर आप को लोग संसद में भी भेजता है तो आप को वहां जय भारत जय कानून और जय राष्ट्र कहने की जरूरत है ना की जय राम ,जय महादेब, अल्ला हो अकबर कहने के लिए ।
क्यों कि यह शब्द आप की अपनी है, आप का यह ब्यक्तिगत आस्था है । और आप को इसे आपने तक सीमित रखना चाहिए।धर्म और आस्था भवनात्मक चीज है और वह हर आदमी का अलग अलग है , लेकिन ऐसे जगहों से इस तरह की बाते और आप की भावनाएं और लोंगो को बंटने का संदेश देता है । इस परंपरा को हमे रोकना होगा ।ताकि लोंगो की मानसिकता में बदलाव आए।
सत्ता की जिम्मेदारी है कि आप ऐसा काम करो ,कि देश बटे नही,देश टूटे नही,बल्कि सभी मे प्यार हो,एक दूसरे के प्रति सम्मान हो तभी मज़बूत भारत,अटूट भारत और नया भारत बनेगा।
7 जुलाई 2019
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